शिकदर को सता रहा बच्चों का डर इनमें से ही एक हैं बशीरुल शिकदर जिनकी पत्नी चार साल पहले अमेरिका से सीरिया आइएस में शामिल होने के लिए चली आई थी। इस दौरान वह अपने दो बच्चों को भी साथ ले आई थी। बशीरूल फ्लोरिडा में रहते हैं। उन्हें फिलहाल अपने बच्चों की चिंता सता रही है। उनकी पत्नी हवाई हमलों में मारी जा चुकी है। लेकिन अब तक उनके बच्चों का कुछ पता नहीं है। ऐसे में उनके पास बच्चों के लिए सलामती की दुआ करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचा है। उन्हें उम्मीद है कि शायद किसी दिन उनके बच्चे वापस उनके पास सही सलामत आ जाएंगे। बशीरूल को शक है कि उनके बच्चे उसी बागौज शहर में हैं जिसे आएएस का आखिरी गढ़ बताया जा रहा है। यहां पर फिलहाल आइएस और एसडीएफ के बीच भीषण संघर्ष जारी है। तीन से चार वर्ष के हैं बच्चे ____38 वर्षीय शिकदर अमेरिकी होने के बाद भी पूरी तरह से धार्मिक हैंशिकदर की मार्मिक अपील सुनकर कुछ लोग और संगठन उनके बच्चों की तलाश के लिए आगे आए हैं। करीब एक दशक पहले शिकदर बांग्लादेश से कनाडा गए थे। इसके बाद वह अमेरिका में शिफ्ट हो गए और वहीं के बनकर रह गए। यहां पर उन्होंने बांग्लादेश मूल की अमेरिकी महिला रशिदा सौमेया से शादी की। बशीरूल का एक बेटा और एक बेटी है जिनका नाम यूसुफ और जहिरा है। मक्का जाने के बहाने सीरिया पहुंची थी वाइफ बशीरूल मियामी में आईटी सेक्टर स जुड़े हैं। 2015 में उनकी जिंदगी तब बदल गई जब मार्च में उनकी पत्नी मक्का गई यहां जाने के लिए ही वह अपने बच्चों को साथ लेकर निकली थी। पहले राशिदा अपन पैरेंट्स के यहां गई थी। इसके कुछ दिन बाद जब बशीरुल ने अपनी पत्नी के बार में उसके परिजनों से पूछा तो पता चला कि वह वापस जा चुकी है। इसके बाद बशीरुल ने एफबीआइ से संपर्क साधा। बाद में पता चला कि उसकी पत्नी अपनी बहन और बच्चों के साथ पहल तुर्की गई और वहां से आइएस में शामिल होन के लिए सीरिया चली गई। जिस वक्त यह सब कुछ हुआ तब उसके बच्चे चार और दस माह के थे। कुछ सप्ताह बाद सीरिया स बशीरुल के पास फोन आया। दूसरी तरफ स बताया गया कि उनकी पत्नी सीरिया में आइएस के इलाके में है। अकेले बशीरुल ही चिंता में नहीं बशीरुल अकेले ऐसे इंसान नहीं हैं जिन्हें अपनों की चिंता खाए जा रही है। बीते कछ वर्षों में आइएस ने सीरिय के इस इलाके में जबरदस्त तबाही मचाई है। आइएस की जहां कहीं हुकूमत रही वहां पर उसने तबाही का वो मंजर छोडा जिसको देखकर भी रुह कांप जाती है। यही वजह थी कि हजारों की तादाद में सीरियाई नागरिकों ने दसरे देशों म शरण ली है। शमीमा बेगम भी इन्हीं में से एक है। शमीमा - ब्रिटेन में शरण ले रखी है। वहीं होदा मथाना की तरह कर ऐसी भी हैं जिन्हें अमेरिका ने अपने यहां पर शरण नहीं दी। 2014 में बड़े हिस्से पर था कब्जा आपको बता दें कि बागौज को देश में आइएस क अंतिम ठिकाना माना जाता है। इससे पहले 2014 में आइएस ने सीरिया और पड़ोसी देश इराक के एक तिहाई से ज्याद क्षेत्रफल पर कब्जा कर लिया था। साथ ही उसने इसे अलग इस्लामिक राज्य के तौर पर घोषित कर दिया था। आइएस सरगना अबू बकर अल बगदादी ने खुद को इस भूभाग क खलीफा घोषित कर लिया था। आइएस की क्रूर कार्रवाइयो के बाद विश्व बिरादरी एकजट हई और अमेरिका के नेतृत्व में आइएस के खिलाफ अभियान छेड़ा गया। करीब तीन वर्ष की भीषण कार्रवाई में आइएस पर काबू पा लिया गय और उसके कब्जे से ज्यादातर इलाका छडा लिया गया अब यह संगठन अपनी आखिरी सांसें ले रहा है।
आइएस के आखिरी गढ़ पर वार के बीच इस बाप को सता रहा अपने दो बच्चों का डर